कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "तोप" अध्याय में प्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल की कविता "तोप" शामिल है। वीरेन डंगवाल हिंदी साहित्य के आधुनिक कवियों में से एक हैं, और उनकी कविताएँ समाज के विभिन्न पहलुओं की गहरी समीक्षा करती हैं।
"तोप" कविता में कवि ने एक सामान्य वस्त्र, "तोप", के माध्यम से समाज की विभिन्न सामाजिक और आर्थिक स्थितियों की आलोचना की है। कविता में तोप की साधारणता और उसकी महत्ता को केंद्र में रखकर, कवि ने सामाजिक असमानताओं, भौतिकवाद और जीवन की वास्तविकताओं पर प्रकाश डाला है। इस कविता के माध्यम से पंवार ने समाज के उन पहलुओं की आलोचना की है, जो अक्सर सामान्य जीवन की भागदौड़ में नजरअंदाज कर दिए जाते हैं।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को समकालीन समाज और उसकी वास्तविकताओं की एक नई दृष्टि प्रदान करता है। "तोप" कविता के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि साहित्य का उपयोग समाज की विभिन्न समस्याओं और असमानताओं को उजागर करने के लिए कैसे किया जा सकता है। यह कविता समाज में व्याप्त भौतिकवाद और सामाजिक असमानताओं के प्रति जागरूकता फैलाने में मदद करती है।
"तोप" कविता का अध्ययन छात्रों को साहित्य के सामाजिक और आलोचनात्मक पहलुओं से परिचित कराता है। यह कविता उन्हें समाज की वास्तविकताओं को समझने और उनके प्रति संवेदनशील बनने का अवसर प्रदान करती है। वीरेन डंगवाल की इस कविता के माध्यम से विद्यार्थी सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक हो सकते हैं और जीवन की जटिलताओं को समझ सकते हैं। इस अध्याय का साहित्यिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्व अत्यधिक है।
जन्म और शिक्षा: वीरेन डंगवाल का जन्म 5 अगस्त 1947 को उत्तराखंड के काशीपुर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा काशीपुर और फिर हरिद्वार से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हिंदी साहित्य में उच्च शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।
साहित्यिक करियर: वीरेन डंगवाल ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की। वे एक प्रमुख कवि और आलोचक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनके लेखन में समाज के विभिन्न पहलुओं, जैसे राजनीति, सामाजिक मुद्दे, और मानवीय संवेदनाएँ, को बखूबी व्यक्त किया गया है। उनकी कविताएँ आम जीवन की कठिनाइयों और समाज के यथार्थ को खुलकर सामने लाती हैं।
मृत्यु: वीरेन डंगवाल का निधन 28 सितम्बर 2015 को हुआ।