कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "आत्मत्राण" अध्याय में रवींद्रनाथ ठाकुर की एक महत्वपूर्ण कविता शामिल है। रवींद्रनाथ ठाकुर, जिन्हें रवींद्रनाथ ठाकुर के नाम से भी जाना जाता है, बांग्ला साहित्य के महान कवि, नाटककार और दार्शनिक थे, जिन्होंने 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया।
"आत्मत्राण" कविता में ठाकुर ने आत्म-रक्षा और आत्म-संरक्षण के महत्व पर जोर दिया है। कविता में वे व्यक्ति के आत्मबल और आत्मनिर्भरता की बात करते हैं, और यह संदेश देते हैं कि व्यक्ति को अपनी समस्याओं और चुनौतियों का सामना आत्म-विश्वास और दृढ़ता से करना चाहिए। आत्मत्राण की अवधारणा यह है कि हर व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता और आत्म-मूल्यता का सम्मान करना चाहिए और अपने जीवन की दिशा को स्वयं निर्धारित करना चाहिए।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास, और व्यक्तिगत सशक्तिकरण के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता का यह संदेश है कि बाहरी परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों, व्यक्ति को अपने आत्मबल और आत्म-विश्वास को बनाए रखना चाहिए।
"आत्मत्राण" कविता के माध्यम से छात्रों को यह सीखने को मिलता है कि आत्म-निर्भरता और आत्म-संरक्षण केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय विकास के लिए भी आवश्यक हैं। यह कविता उन्हें जीवन में चुनौतियों का सामना करने और आत्म-संरक्षण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
रवींद्रनाथ ठाकुर की "आत्मत्राण" कविता का अध्ययन विद्यार्थियों को आत्म-संरक्षण और आत्म-निर्भरता के महत्व को समझने के साथ-साथ साहित्यिक दृष्टिकोण से भी समृद्ध करता है। यह अध्याय उनके आत्मबल और आत्ममूल्यता के महत्व को उजागर करता है, जिससे यह शैक्षिक और प्रेरणादायक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
रवींद्रनाथ ठाकुर का जीवन परिचय
- जन्म: 6 मई 1861 को कोलकाता, भारत
- शिक्षा: प्रारंभिक शिक्षा घर पर प्राप्त की और इंग्लैंड में अध्ययन किया।
- साहित्यिक करियर: 1880 के दशक में साहित्यिक करियर की शुरुआत। काव्यात्मक रचनाएँ, कहानियाँ, उपन्यास और निबंध लिखे।
- मृत्यु: 7 अगस्त 1941 को कोलकाता में निधन।
प्रमुख कृतियाँ
- "गीतांजलि" (Gitanjali): सबसे प्रसिद्ध काव्य संग्रह, जिसे 1912 में प्रकाशित किया गया।
- "गहन चित्तर" (Gahan Chittr): गहरे चिंतन और भावनात्मक गहराई को दर्शाता है।
- "शारदा" (Sharda): सामाजिक और राजनीतिक विचारों को प्रकट करता है।
- "चोखेर बाली" (Chokher Bali): सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर आधारित उपन्यास।
- "आशा" (Asha): आशा और उम्मीद के भावों को छेड़ा है।
पुरस्कार और सम्मान
- नोबेल पुरस्कार (1913): "गीतांजलि" के लिए सम्मानित।
- भारत रत्न (1961): साहित्यिक उत्कृष्टता और सांस्कृतिक योगदान के लिए।
- कृष्णा मेमोरियल अवार्ड (1913): साहित्यिक उपलब्धियों के लिए।