कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "पतझर में टूटी पत्तियाँ" अध्याय में लेखक रविंद्र केलेकर की एक कहानी शामिल है। रविंद्र केलेकर एक प्रमुख मराठी लेखक हैं, जिनकी रचनाएँ समाज की वास्तविकताओं और मानवीय संवेदनाओं का गहरा विश्लेषण करती हैं।
"पतझर में टूटी पत्तियाँ" कहानी में, रविंद्र केलेकर ने एक विशेष दृष्टिकोण से प्रकृति और मानव जीवन के संबंध को प्रस्तुत किया है। इस कहानी में पतझर के मौसम के माध्यम से जीवन की अप्रत्याशितता और अस्थिरता को दर्शाया गया है। टूटी हुई पत्तियों की स्थिति को मानव जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक ने यह दिखाया है कि कैसे जीवन की नाजुकता और बदलाव की स्वाभाविक प्रक्रिया को समझना और स्वीकारना आवश्यक है।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को जीवन के बदलावों और अस्थिरताओं को गहराई से समझने का अवसर प्रदान करता है। "पतझर में टूटी पत्तियाँ" कहानी के माध्यम से वे यह सीख सकते हैं कि जीवन की कठिनाइयों और परिवर्तनों को कैसे स्वीकार किया जा सकता है और उन्हें किस प्रकार से सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपनाया जा सकता है।
इस कहानी का अध्ययन विद्यार्थियों को यह सिखाता है कि जीवन की समस्याओं और अस्थिरताओं के बावजूद, आशा और सकारात्मकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है। यह कहानी उन्हें प्रकृति और जीवन के जटिल पहलुओं को समझने में मदद करती है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और भावनात्मक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। रविंद्र केलेकर की "पतझर में टूटी पत्तियाँ" कहानी मानवीय संवेदनाओं और प्राकृतिक प्रक्रियाओं की सुंदरता को उजागर करती है, जो विद्यार्थियों के साहित्यिक और नैतिक विकास में सहायक होती है।