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Chapter 10 प्रेमचंद ( बड़े भाई साहब )

Class 10th हिन्दी स्पर्श भाग- 2


प्रेमचंद ( बड़े भाई साहब ) (स्पर्श भाग- 2, कक्षा 10)


कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 - 'बड़े भाई साहब ' (लेखक: प्रेमचंद)

मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी "बड़े भाई साहब" इस अध्याय में शामिल है। मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान कथाकार हैं, और उनकी कहानियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रस्तुत करती हैं।

"बड़े भाई साहब" कहानी में प्रेमचंद ने भारतीय समाज की सामाजिक और पारिवारिक संरचनाओं की नब्ज को छूने का प्रयास किया है। इस कहानी में, वे एक बड़े भाई की भूमिका और उसके परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को दर्शाते हैं। बड़े भाई साहब के चरित्र के माध्यम से प्रेमचंद ने समाज के विभिन्न वर्गों की स्थितियों, परिवार के भीतर के रिश्तों, और पारिवारिक संबंधों के महत्व को उजागर किया है। कहानी में भाई-बहन के रिश्ते, पारिवारिक मूल्य, और सामाजिक जिम्मेदारियों की महत्वपूर्ण बातें समेटी गई हैं।

इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की गहराई और उनके महत्व से परिचित कराता है। "बड़े भाई साहब" कहानी के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि परिवार और समाज में जिम्मेदारियों को निभाना कितना आवश्यक है और एक आदर्श भाई की भूमिका क्या होनी चाहिए।

कहानी का अध्ययन विद्यार्थियों को सामाजिक जिम्मेदारी और पारिवारिक मूल्यों के प्रति जागरूक करता है। यह कहानी उन्हें यह सिखाती है कि कैसे समाज में अपनी भूमिका निभाते हुए जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति बना जा सकता है। प्रेमचंद की "बड़े भाई साहब" कहानी साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज की समस्याओं और मानवीय भावनाओं को बारीकी से दर्शाती है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

प्रेमचंद जी का जीवन परिचय और प्रमुख कृतियाँ

प्रेमचंद जी भारतीय साहित्य के एक प्रमुख लेखक थे, जिन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनका वास्तविक नाम दीनानाथ मिश्रा था, और वे हिंदी साहित्य के "मूल्य की धारा" के रूप में प्रसिद्ध हुए।

जीवन परिचय

  • जन्म: प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को उत्तर प्रदेश के लमही गाँव में हुआ था।
  • शिक्षा: उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल से प्राप्त की और आगे की शिक्षा के लिए वाराणसी और इलाहाबाद में अध्ययन किया।
  • साहित्यिक करियर: प्रेमचंद ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत 1900 के दशक में की। उन्होंने अपने लेखन में भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को, विशेषकर समाज की आर्थिक और सामाजिक समस्याओं को उजागर किया। उनके उपन्यास और कहानियाँ भारतीय समाज की जटिलताओं और मानवता के संघर्षों का गहन चित्रण करती हैं।
  • मृत्यु: प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ।

प्रमुख कृतियाँ

  • "गोदान" (Godan): यह प्रेमचंद का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है, जो भारतीय किसान की समस्याओं और संघर्षों पर आधारित है। यह उपन्यास ग्रामीण भारत की समस्याओं और सामाजिक असमानताओं को चित्रित करता है।
  • "कर्मभूमि" (Karmabhoomi): इस उपन्यास में प्रेमचंद ने सामाजिक सुधार और देशभक्ति के विचारों को प्रस्तुत किया है। यह उपन्यास भारतीय समाज के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर प्रकाश डालता है।
  • "सेवा सदन" (Seva Sadan): यह उपन्यास भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके संघर्षों को उजागर करता है। इसमें समाज के रूढ़िवादी दृष्टिकोण और महिलाओं की दयनीय स्थिति का चित्रण किया गया है।
  • "नकली नोट" (Nakal Naash): यह एक महत्वपूर्ण कहानी संग्रह है, जिसमें प्रेमचंद ने समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और बुराईयों पर टिप्पणियाँ की हैं।
  • "मंगलसूत्र" (Mangal Sutra): इस उपन्यास में प्रेमचंद ने सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों का गहराई से विश्लेषण किया है।

पुरस्कार और सम्मान

  • उर्दू अकादमी पुरस्कार: प्रेमचंद को उनके साहित्यिक योगदान के लिए उर्दू अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • साहित्यिक सम्मानों की कई श्रेणियाँ: प्रेमचंद को उनके समय में और बाद में भी कई साहित्यिक सम्मानों से नवाजा गया, जिन्होंने भारतीय साहित्य को समृद्ध किया।

प्रेमचंद की रचनाएँ आज भी पाठकों को समाज की वास्तविकताओं से अवगत कराती हैं और उनके साहित्यिक योगदान को एक अमूल्य धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनकी लेखनी में सामाजिक संवेदनशीलता, मानवता की गहराई, और भारतीय ग्रामीण जीवन की सच्चाईयों का अनूठा चित्रण देखने को मिलता है।