मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी "बड़े भाई साहब" इस अध्याय में शामिल है। मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान कथाकार हैं, और उनकी कहानियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को गहराई से प्रस्तुत करती हैं।
"बड़े भाई साहब" कहानी में प्रेमचंद ने भारतीय समाज की सामाजिक और पारिवारिक संरचनाओं की नब्ज को छूने का प्रयास किया है। इस कहानी में, वे एक बड़े भाई की भूमिका और उसके परिवार के प्रति जिम्मेदारियों को दर्शाते हैं। बड़े भाई साहब के चरित्र के माध्यम से प्रेमचंद ने समाज के विभिन्न वर्गों की स्थितियों, परिवार के भीतर के रिश्तों, और पारिवारिक संबंधों के महत्व को उजागर किया है। कहानी में भाई-बहन के रिश्ते, पारिवारिक मूल्य, और सामाजिक जिम्मेदारियों की महत्वपूर्ण बातें समेटी गई हैं।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की गहराई और उनके महत्व से परिचित कराता है। "बड़े भाई साहब" कहानी के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि परिवार और समाज में जिम्मेदारियों को निभाना कितना आवश्यक है और एक आदर्श भाई की भूमिका क्या होनी चाहिए।
कहानी का अध्ययन विद्यार्थियों को सामाजिक जिम्मेदारी और पारिवारिक मूल्यों के प्रति जागरूक करता है। यह कहानी उन्हें यह सिखाती है कि कैसे समाज में अपनी भूमिका निभाते हुए जिम्मेदार और समझदार व्यक्ति बना जा सकता है। प्रेमचंद की "बड़े भाई साहब" कहानी साहित्यिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज की समस्याओं और मानवीय भावनाओं को बारीकी से दर्शाती है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।
प्रेमचंद जी भारतीय साहित्य के एक प्रमुख लेखक थे, जिन्हें हिंदी और उर्दू साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। उनका वास्तविक नाम दीनानाथ मिश्रा था, और वे हिंदी साहित्य के "मूल्य की धारा" के रूप में प्रसिद्ध हुए।
प्रेमचंद की रचनाएँ आज भी पाठकों को समाज की वास्तविकताओं से अवगत कराती हैं और उनके साहित्यिक योगदान को एक अमूल्य धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है। उनकी लेखनी में सामाजिक संवेदनशीलता, मानवता की गहराई, और भारतीय ग्रामीण जीवन की सच्चाईयों का अनूठा चित्रण देखने को मिलता है।