कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र" अध्याय में लेखक प्रहलाद अग्रवाल की लेखनी शामिल है। प्रहलाद अग्रवाल हिंदी साहित्य के महत्वपूर्ण आलोचकों और लेखकों में से एक हैं, और उनकी रचनाएँ और विश्लेषण साहित्यिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।
"तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र" लेख में, अग्रवाल ने भारतीय सिनेमा की एक महत्वपूर्ण फिल्म "तीसरी कसम" और उसके गीतकार शैलेन्द्र के काम का विश्लेषण किया है। शैलेन्द्र हिंदी सिनेमा के एक प्रमुख गीतकार थे, जिनकी लेखनी में सामाजिक और भावनात्मक गहराई होती थी। "तीसरी कसम" एक फिल्म है, जिसका संगीत और गीत शैलेन्द्र द्वारा लिखे गए थे, और उन्होंने फिल्म के भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं को बखूबी प्रस्तुत किया।
इस लेख की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को शैलेन्द्र के साहित्यिक और सिनेमा के योगदान से परिचित कराता है। लेख के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि कैसे शैलेन्द्र ने अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से समाज की संवेदनाओं और भावनाओं को व्यक्त किया। फिल्म "तीसरी कसम" और शैलेन्द्र के गीतों का अध्ययन उन्हें यह सिखाता है कि सिनेमा और संगीत में साहित्यिक और सामाजिक संदेशों का प्रभाव कितना महत्वपूर्ण हो सकता है।
"तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेन्द्र" लेख का अध्ययन विद्यार्थियों को सिनेमा और साहित्य के बीच के रिश्ते को समझने में मदद करता है। यह लेख शैलेन्द्र की सृजनात्मकता और उनके योगदान के महत्व को उजागर करता है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।