कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "अब कहा दुसरे के दुख में दुखी होने वाले" अध्याय में प्रसिद्ध कवि निदा फ़ाज़ली की एक कविता शामिल है। निदा फ़ाज़ली हिंदी और उर्दू के एक प्रमुख कवि थे, जिनकी कविताएँ गहरी संवेदनशीलता और समाज के विभिन्न पहलुओं की आलोचना करती हैं।
"अब कहा दुसरे के दुख में दुखी होने वाले" कविता में निदा फ़ाज़ली ने समाज में संवेदनशीलता और सहानुभूति की कमी को उजागर किया है। कविता में कवि ने यह प्रश्न उठाया है कि जब समाज में दूसरों के दुख और पीड़ा की अनदेखी की जाती है, तो सचमुच सहानुभूति और मनुष्यता की भावना कहां गई? उन्होंने यह दर्शाया है कि समाज की व्यस्तता और स्वार्थ ने इंसानियत और दया की भावना को कमजोर कर दिया है।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को समाज की वास्तविकताओं और मनुष्यता के मूल्यों पर सोचने के लिए प्रेरित करता है। "अब कहा दुसरे के दुख में दुखी होने वाले" कविता के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि व्यक्तिगत स्वार्थ और समाज की व्यस्तता के बीच, संवेदनशीलता और सहानुभूति को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।
इस कविता का अध्ययन छात्रों को यह सिखाता है कि समाज में मनुष्यता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना क्यों आवश्यक है। यह कविता समाज में संवेदनशीलता की कमी और उसकी जड़ों को समझने में मदद करती है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। निदा फ़ाज़ली की यह कविता समाज की सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारियों की याद दिलाती है, जिससे विद्यार्थियों में सामाजिक चेतना और सहानुभूति की भावना को प्रोत्साहित किया जा सकता है।