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Chapter 8 कैफी आजमी ( कर चले हम फिदा )

Class 10th हिन्दी स्पर्श भाग- 2


कैफी आजमी ( कर चले हम फिदा ) (स्पर्श भाग- 2, कक्षा 10)


कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 - 'कर चले हम फिदा' (लेखक: कैफी आजमी)

कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "कर चले हम फिदा" अध्याय में प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आज़मी की कविता शामिल है। कैफ़ी आज़मी हिंदी-उर्दू के एक प्रमुख शायर थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और देशभक्ति के भावों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।

"कर चले हम फिदा" कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में लिखी गई है, जिसमें कवि ने अपने देश के प्रति बलिदान और निस्वार्थ समर्पण की भावना को व्यक्त किया है। कविता में, कैफ़ी आज़मी ने उन वीर सपूतों और शहीदों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी। कविता का प्रत्येक शब्द देशभक्ति और बलिदान की भावना से ओतप्रोत है, जो स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है।

इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और उसमें योगदान देने वाले शहीदों की कुर्बानी से परिचित कराता है। "कर चले हम फिदा" कविता के माध्यम से वे स्वतंत्रता, देशभक्ति और त्याग के वास्तविक अर्थ को समझ सकते हैं। यह कविता उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को समझें और उनका पालन करें।

कैफ़ी आज़मी की यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना को जीवित रखती है और स्वतंत्रता की अहमियत को नए सिरे से समझाती है। इसके अध्ययन से विद्यार्थियों को साहित्यिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व का भी अनुभव होता है। "कर चले हम फिदा" कविता के माध्यम से कैफ़ी आज़मी ने स्वतंत्रता और बलिदान की भावना को अमर बना दिया है, जिससे यह अध्याय अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।

जीवन परिचय

जन्म: 19 जनवरी 1919, अलीगढ़, उत्तर प्रदेश, भारत

शिक्षा: कैफी आज़मी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल से प्राप्त की और बाद में उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।

साहित्यिक करियर: कैफी आज़मी ने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत 1940 के दशक में की। वे अपने समय के सबसे प्रभावशाली शायरों में से एक बने और उनकी शायरी में समाज के विभिन्न पहलुओं का चित्रण हुआ। उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। उनकी कविताओं और शायरी में आम जीवन की कठिनाइयाँ, सामाजिक असमानताएँ, और राजनीतिक मुद्दों पर टिप्पणी की गई है।

मृत्यु: 2002, मुंबई, भारत

प्रमुख कृतियाँ

  • "आग": यह कैफी आज़मी की एक प्रमुख कविता संग्रह है, जिसमें उनके क्रांतिकारी विचार और समाजिक दृष्टिकोण का प्रतिफल देखा जा सकता है।
  • "कुर्बान": इस संग्रह में उन्होंने समाजिक संघर्ष और मानवता के आदर्शों पर ध्यान केंद्रित किया है।
  • "नए जमाने की ग़ज़लें": इस काव्य संग्रह में उन्होंने आधुनिक समाज और इसके मुद्दों पर अपनी शायरी प्रस्तुत की है।
  • "शायरी की एक शाम": इस संग्रह में उनकी शायरी की विविधता और गहराई को देखा जा सकता है।

पुरस्कार और सम्मान

  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1969): कैफी आज़मी को उनके काव्य संग्रह "आग" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • पद्मभूषण (2002): भारत सरकार ने उन्हें साहित्य और कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया।
  • ज्ञानपीठ पुरस्कार (1989): उनके साहित्यिक योगदान के लिए उन्हें यह पुरस्कार प्राप्त हुआ।
  • उर्दू अकादमी पुरस्कार: उन्होंने उर्दू साहित्य के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई पुरस्कार प्राप्त किए।