कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "कर चले हम फिदा" अध्याय में प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आज़मी की कविता शामिल है। कैफ़ी आज़मी हिंदी-उर्दू के एक प्रमुख शायर थे, जिन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता और देशभक्ति के भावों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
"कर चले हम फिदा" कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में लिखी गई है, जिसमें कवि ने अपने देश के प्रति बलिदान और निस्वार्थ समर्पण की भावना को व्यक्त किया है। कविता में, कैफ़ी आज़मी ने उन वीर सपूतों और शहीदों को श्रद्धांजलि दी है जिन्होंने स्वतंत्रता की खातिर अपने प्राणों की आहुति दी। कविता का प्रत्येक शब्द देशभक्ति और बलिदान की भावना से ओतप्रोत है, जो स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और उसमें योगदान देने वाले शहीदों की कुर्बानी से परिचित कराता है। "कर चले हम फिदा" कविता के माध्यम से वे स्वतंत्रता, देशभक्ति और त्याग के वास्तविक अर्थ को समझ सकते हैं। यह कविता उन्हें प्रेरित करती है कि वे अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को समझें और उनका पालन करें।
कैफ़ी आज़मी की यह कविता भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना को जीवित रखती है और स्वतंत्रता की अहमियत को नए सिरे से समझाती है। इसके अध्ययन से विद्यार्थियों को साहित्यिक दृष्टिकोण के साथ-साथ सामाजिक और ऐतिहासिक महत्व का भी अनुभव होता है। "कर चले हम फिदा" कविता के माध्यम से कैफ़ी आज़मी ने स्वतंत्रता और बलिदान की भावना को अमर बना दिया है, जिससे यह अध्याय अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है।