ROUTERA


Chapter 1 कबीर साखी

Class 10th हिन्दी स्पर्श भाग- 2


कबीर साखी (स्पर्श भाग- 2, कक्षा 10)


कक्षा 10 हिंदी स्पर्श भाग 2 - 'साखी' (लेखक: कबीर)

अध्याय: कबीर साखी

कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में शामिल "कबीर साखी" अध्याय कबीर दास जी की साखियों का संग्रह है। कबीर दास 15वीं शताब्दी के महान संत और कवि थे, जिनकी रचनाएँ भारतीय समाज में आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी साखियाँ जीवन के गहन अनुभवों और सत्य को सरल शब्दों में प्रस्तुत करती हैं।

इस अध्याय में, कबीर की साखियों के माध्यम से विद्यार्थियों को नैतिकता, सादगी, और मानवता के मूल्य सिखाए जाते हैं। कबीर ने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, आडंबरों, और पाखंडों की आलोचना की है, और लोगों को सच्चाई, ईमानदारी और प्रेम का पालन करने की प्रेरणा दी है। उनकी साखियाँ न केवल धार्मिक और सामाजिक संदेश देती हैं, बल्कि जीवन के वास्तविक अर्थ को भी उजागर करती हैं।

"कबीर साखी" अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, साहित्य, और दर्शन के साथ-साथ जीवन के मौलिक सिद्धांतों से जोड़ता है। यह अध्याय उन्हें आत्मविश्लेषण करने और समाज में फैली कुरीतियों के प्रति जागरूक होने का अवसर प्रदान करता है। कबीर की साखियाँ समय और समाज की सीमाओं से परे जाकर आज भी लोगों को जीवन जीने का सही मार्ग दिखाती हैं, जिससे इस अध्याय का शैक्षिक और नैतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

कबीरदास जी का जीवन परिचय और प्रमुख कृतियाँ

जीवन परिचय:

कबीरदास जी का जन्म 1398 ईस्वी में वाराणसी (काशी) में हुआ था। उनके जन्म के बारे में कई मत हैं, परंतु यह माना जाता है कि वे नीरू और नीमा नामक एक मुस्लिम जुलाहा दंपत्ति द्वारा पाले गए थे। उनका जीवनकाल 15वीं शताब्दी में हुआ और वे एक महान संत, कवि, और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हुए। कबीरदास जी ने न तो किसी धार्मिक ग्रंथ का अध्ययन किया और न ही किसी गुरु से शिक्षा ली, लेकिन उनके विचार गहन और गूढ़ थे।

कबीरदास जी ने हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों की कुरीतियों का विरोध किया और उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों, पाखंड, और जातिवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। उनका मानना था कि ईश्वर एक है और उसे किसी भी मंदिर या मस्जिद में नहीं, बल्कि सच्चे मन में पाया जा सकता है। वे निर्गुण भक्ति के समर्थक थे, जहां ईश्वर को निराकार और सर्वव्यापी माना जाता है।

प्रमुख कृतियाँ:

  • साखी - यह दोहे के रूप में लिखी गई रचनाएँ हैं, जिनमें जीवन के गहरे सत्य और अनुभवों को संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है।
  • सबद - यह गीत के रूप में लिखी गई रचनाएँ हैं, जिनमें भक्ति और आध्यात्मिकता का सुंदर समावेश है।
  • रमैनी - यह चौपाई और दोहे के मिश्रण वाली रचनाएँ हैं, जो कबीर के विचारों और शिक्षाओं को विस्तार से प्रस्तुत करती हैं।

पुरस्कार और सम्मान:

कबीरदास जी ने अपने जीवनकाल में कोई पुरस्कार या सम्मान प्राप्त नहीं किया, क्योंकि वे उन साधारण संतों में से थे जिन्होंने समाज के लिए काम किया और अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी लाखों लोगों के जीवन को प्रेरित करती हैं, और उनकी कविताएँ और साखियाँ भारतीय साहित्य और भक्ति आंदोलन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनी हुई हैं। उनके अनुयायी उन्हें "संत कबीर" के नाम से सम्मानित करते हैं और उनकी शिक्षाओं को गहराई से मानते हैं।