कक्षा 10 की हिंदी की पुस्तक "स्पर्श" भाग 2 में "कारतूस" एकांकी में प्रसिद्ध नाटककार हबीब तनवीर की एक महत्वपूर्ण कृति शामिल है। हबीब तनवीर हिंदी और उर्दू नाट्य मंच पर एक प्रमुख व्यक्तित्व थे, जिनके काम ने भारतीय थिएटर की दिशा को नए सिरे से परिभाषित किया।
"कारतूस" एकांकी में, हबीब तनवीर ने समाज की वास्तविकताओं और मानवीय स्वभाव के विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत किया है। इस एकांकी में, एक कारतूस की वस्तु के माध्यम से जीवन की जटिलताओं और समाज के अंतर्विरोधों को दर्शाया गया है। यह नाटक पात्रों की मनोवैज्ञानिक स्थिति और उनके समाज में संघर्ष की कहानी को उजागर करता है। हबीब तनवीर ने इस एकांकी में लोक नाट्य परंपराओं और आधुनिक थिएटर के तत्वों का संयोजन किया है, जो उनके नाट्य लेखन की विशिष्टता को दर्शाता है।
इस अध्याय की महत्ता इस बात में है कि यह विद्यार्थियों को हबीब तनवीर की नाट्यशिल्प और उनकी दृष्टि से परिचित कराता है। "कारतूस" एकांकी के माध्यम से वे यह समझ सकते हैं कि नाट्यकला किस प्रकार समाज की समस्याओं और मानवीय भावनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकती है। हबीब तनवीर के इस एकांकी के अध्ययन से विद्यार्थी नाटक की संरचना और पात्रों की मनोवैज्ञानिक गहराई को समझ सकते हैं।
"कारतूस" एकांकी का अध्ययन छात्रों को नाट्यशिल्प और सामाजिक आलोचना के महत्व को समझने में मदद करता है। यह नाटक समाज के विभिन्न मुद्दों को उजागर करता है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। हबीब तनवीर की यह कृति साहित्यिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे यह अध्याय शैक्षिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो जाता है।