हरिहर काका कहानी में ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया गया है। मिथिलेश्वर जी ने इस कहानी के माध्यम से पारिवारिक संबंधों, संपत्ति के लालच और धार्मिक आस्था के द्वंद्व को खूबसूरती से प्रस्तुत किया है। हरिहर काका एक वृद्ध व्यक्ति हैं, जिनके पास थोड़ी-बहुत संपत्ति है। कहानी में दिखाया गया है कि किस तरह उनके रिश्तेदार और समाज के लोग उनके संपत्ति के लिए लालच में आ जाते हैं। हरिहर काका का संघर्ष और उनकी मानसिक स्थिति कहानी को और भी प्रभावशाली बनाती है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने समाज की विडंबनाओं और मानवीय संबंधों की जटिलताओं को प्रभावी ढंग से चित्रित किया है।
मिथिलेश्वर जी का जन्म 31 दिसम्बर 1950 को बिहार के भोजपुर जिले के बरौली गाँव में हुआ था। उनका पूरा नाम डॉ. मिथिलेश्वर प्रसाद सिंह है। उन्होंने हिंदी साहित्य में विशेष योग्यता प्राप्त की और एक प्रतिष्ठित लेखक के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनका लेखन ग्रामीण जीवन, समाज की समस्याओं और मानवीय संवेदनाओं को गहराई से अभिव्यक्त करता है। मिथिलेश्वर जी ने अपने लेखन के माध्यम से हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इन पुरस्कारों ने उनके साहित्यिक कद को और ऊँचा किया और उन्हें हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखकों में शुमार किया। उनका लेखन आज भी साहित्य प्रेमियों के बीच समादृत है और उनकी रचनाएँ समाज और मानवीय संवेदनाओं का सजीव चित्रण करती हैं।