"राम लक्ष्मण परशुराम संवाद" कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह प्रसंग गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित महाकाव्य "रामचरितमानस" के बालकांड से लिया गया है। इस संवाद में राम, लक्ष्मण, और परशुराम के बीच हुए संवाद का वर्णन है, जो अपने आप में अत्यंत रोचक और शिक्षाप्रद है।
यह प्रसंग तब घटित होता है जब भगवान राम ने शिवजी का धनुष तोड़ा और सीता स्वयंवर में विजयी हुए। इस घटना से क्रोधित होकर भगवान परशुराम वहाँ पहुँचते हैं। परशुराम क्रोध से भरकर राम और लक्ष्मण को चुनौती देते हैं, लेकिन लक्ष्मण अपनी बुद्धिमत्ता और वीरता के साथ परशुराम से संवाद करते हैं। लक्ष्मण के उत्तरों में उनकी वीरता, धैर्य, और शौर्य का परिचय मिलता है, जबकि भगवान राम विनम्रता और शांति का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। अंततः, परशुराम को राम की दिव्यता का बोध होता है, और वे अपनी भूल स्वीकार करते हैं।
यह प्रसंग रामचरितमानस के महत्वपूर्ण अंशों में से एक है, जो राम के आदर्श चरित्र और लक्ष्मण की शौर्यशाली प्रकृति को उजागर करता है। इस संवाद में संस्कृत और अवधी भाषा का सुंदर प्रयोग किया गया है, जो तुलसीदास की लेखनी की विशेषता है। यह पाठ छात्रों को विनम्रता, धैर्य, और सम्मान जैसे गुणों का महत्व सिखाता है। इसके साथ ही, भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति से भी परिचय कराता है।