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Chapter 7 गिरिजाकुमार माथुर ( छाया मत छूना)

Class 10th हिन्दी क्षितिज भाग -2


कक्षा 10 की एनसीईआरटी पुस्तक "क्षितिज भाग 2" गिरिजाकुमार माथुर (छाया मत छूना)

कक्षा 10 की एनसीईआरटी हिंदी पाठ्यपुस्तक "क्षितिज भाग 2" में शामिल "छाया मत छूना" प्रसिद्ध कवि गिरिजाकुमार माथुर की एक गहन और अर्थपूर्ण कविता है। गिरिजाकुमार माथुर हिंदी के प्रगतिशील कवियों में से एक थे, और उनकी रचनाएँ जीवन के यथार्थ, मानवीय संवेदनाओं, और समाज की जटिलताओं को व्यक्त करती हैं.

कविता का सार:

"छाया मत छूना" एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें कवि ने "छाया" को एक ऐसी चीज़ के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसे छूने या पकड़ने का प्रयास व्यर्थ है। छाया यहाँ प्रतीक है उन मृगमरीचिकाओं या अधूरी इच्छाओं का, जिनका पीछा करने पर व्यक्ति को केवल निराशा ही हाथ लगती है.

कवि ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि हमें उन चीज़ों के पीछे नहीं भागना चाहिए जो केवल भ्रम हैं, जो हमें वास्तविकता से दूर ले जाती हैं। कविता के माध्यम से कवि ने यह स्पष्ट किया है कि व्यक्ति को अपनी ऊर्जा और ध्यान उन चीज़ों पर केंद्रित करना चाहिए जो वास्तविक और सार्थक हैं.

भावार्थ:

कविता में छाया का प्रयोग एक रूपक के रूप में किया गया है, जो जीवन की अस्थिरता और क्षणिकता को दर्शाता है। कवि का कहना है कि जैसे छाया को पकड़ना असंभव है, वैसे ही कुछ इच्छाएँ और सपने भी होते हैं जो कभी पूरे नहीं हो सकते। हमें इनकी असलियत को समझकर वास्तविक जीवन में अपने लक्ष्यों और कर्तव्यों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

महत्त्व:

"छाया मत छूना" एक गहन विचारोत्तेजक कविता है, जो छात्रों को जीवन की सच्चाइयों और भ्रमों के बीच अंतर समझने की प्रेरणा देती है। गिरिजाकुमार माथुर जी की यह कविता न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के प्रति एक प्रगतिशील दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करती है। छात्रों को यह कविता आत्मविश्लेषण और जीवन के वास्तविक उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करने की शिक्षा देती है.