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Chapter 3 साना-साना हाथ जोड़ि

Class 10th हिन्दी कृतिका भाग -2


साना-साना हाथ जोड़ि (कृतिका भाग 2, कक्षा 10)

"साना-साना हाथ जोड़ि" कृतिका भाग 2 का एक मार्मिक और संवेदनशील अध्याय है, जिसे मुनशी प्रेमचंद की पोती श्रीमती मिथिलेश्वर ने लिखा है। इस कहानी में लेखक ने सिक्किम की यात्रा के दौरान अपने अनुभवों का वर्णन किया है। यह कहानी एक यात्रा वृत्तांत है, जिसमें सिक्किम के प्राकृतिक सौंदर्य, वहाँ के लोगों की सादगी, और उनकी संस्कृति का बखूबी चित्रण किया गया है। "साना-साना हाथ जोड़ि" के माध्यम से लेखक ने जीवन की असल खुशियों और साधारण लोगों की जिंदादिली को बड़े ही सरल और भावुक अंदाज में पेश किया है। यह कहानी छात्रों को अलग-अलग संस्कृतियों और जीवनशैली के बारे में जानने का अवसर देती है, साथ ही जीवन के गहरे अर्थों की ओर भी संकेत करती है।
श्रीमती मिथिलेश्वर जी एक प्रसिद्ध हिंदी लेखिका हैं, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से ग्रामीण जीवन, महिलाओं की स्थिति, और मानवीय संवेदनाओं को उजागर किया है। उनके साहित्य में समाज के निम्न और मध्यम वर्ग की समस्याओं, उनकी चिंताओं और संघर्षों का सजीव चित्रण मिलता है।

श्रीमती मिथिलेश्वर

जीवन परिचय:श्रीमती मिथिलेश्वर का जन्म बिहार के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने ग्रामीण परिवेश में रहकर शिक्षा प्राप्त की और बाद में हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उनके पति, फणीश्वरनाथ रेणु जी, एक प्रख्यात हिंदी साहित्यकार थे, और उनकी साहित्यिक प्रेरणा का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी थे। मिथिलेश्वर जी का लेखन जीवन के यथार्थ को बड़ी ही संवेदनशीलता और सादगी से प्रस्तुत करता है। उनका साहित्यिक दृष्टिकोण अत्यंत सरल, लेकिन प्रभावी है, जो पाठकों को उनके लेखन से गहराई से जोड़ता है।
मुख्य कृतियाँ: श्रीमती मिथिलेश्वर जी ने विभिन्न विधाओं में लेखन किया है, जिनमें उपन्यास, कहानियाँ और निबंध शामिल हैं। उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं:
  • उपन्यास:
    • सात नदियाँ एक समुंदर: इस उपन्यास में ग्रामीण जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनमें निहित संघर्षों का सजीव चित्रण किया गया है।
    • बीच की दीवार: इस उपन्यास में पारिवारिक रिश्तों और उनकी जटिलताओं को प्रमुखता से उकेरा गया है।
  • कहानी संग्रह:
    • साना-साना हाथ जोड़ि: इस कहानी संग्रह में विभिन्न पात्रों और उनके जीवन की विभिन्न समस्याओं को बड़े ही संवेदनशील तरीके से प्रस्तुत किया गया है। कहानी संग्रह की प्रमुख कहानी "साना-साना हाथ जोड़ि" एक यात्रा वृत्तांत के माध्यम से सिक्किम की संस्कृति और लोगों की सादगी का चित्रण करती है।
    • किराये की कोख: इस कहानी संग्रह में उन्होंने महिलाओं के संघर्ष और उनकी स्थिति को समाज में प्रस्तुत किया है।
  • निबंध:
    • संस्मरण और रेखाचित्र: इसमें मिथिलेश्वर जी ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है, जो पाठकों को उनके जीवन और विचारधारा के करीब लाता है।
पुरस्कार और सम्मान:श्रीमती मिथिलेश्वर जी को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार: उन्हें हिंदी साहित्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • पदम श्री: साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा गया।
  • व्यास सम्मान: हिंदी साहित्य में उनकी महत्वपूर्ण कृतियों के लिए उन्हें यह सम्मान भी मिला।
श्रीमती मिथिलेश्वर जी का लेखन समाज के यथार्थ को संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत करता है और समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज़ को प्रमुखता से उठाता है। उनके साहित्य ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी है और उन्हें साहित्यिक जगत में एक विशिष्ट स्थान दिलाया है।