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Chapter 5 मैं क्यों लिखता हूँ

Class 10th हिन्दी कृतिका भाग -2


मैं क्यों लिखता हूँ (कृतिका भाग 2, कक्षा 10)

"मैं क्यों लिखता हूँ" कृतिका भाग 2 का एक आत्मकथात्मक अध्याय है, जिसे प्रसिद्ध लेखक भगवती चरण वर्मा ने लिखा है। इस लेख में लेखक ने अपने लेखन के उद्देश्य और प्रेरणा के बारे में विचार व्यक्त किए हैं। भगवती चरण वर्मा ने यह बताया है कि वह लिखने के लिए क्यों प्रेरित होते हैं, और लेखन उनके लिए क्या मायने रखता है। उन्होंने अपने लेखन को समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व और आत्म-संतुष्टि का माध्यम बताया है। इस लेख में लेखक ने यह भी स्पष्ट किया है कि साहित्य सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने और उसे बेहतर बनाने का एक महत्वपूर्ण जरिया है। "मैं क्यों लिखता हूँ" पाठकों को लेखन के महत्व और उसकी गहरी सामाजिक भूमिका से अवगत कराता है।

भगवती चरण वर्मा जी

जीवन परिचय: भगवती चरण वर्मा जी का जन्म 21 अगस्त 1903 को उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के एक प्रमुख उपन्यासकार, कवि, और निबंधकार थे। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव में ही प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए, जहाँ उन्होंने साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। भगवती चरण वर्मा जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा की शुरुआत कविताओं और कहानियों से की, लेकिन वे मुख्य रूप से उपन्यास लेखन के लिए प्रसिद्ध हुए।
वर्मा जी की लेखनी में समाज के विभिन्न पहलुओं, विशेष रूप से मध्यवर्गीय जीवन, सामाजिक समस्याएँ, और मानवीय संवेदनाएँ प्रमुख रूप से चित्रित की गई हैं। वे हिंदी साहित्य के यथार्थवादी और सामाजिक यथार्थवाद के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
मुख्य कृतियाँ:भगवती चरण वर्मा जी ने उपन्यास, कहानियाँ, और कविताओं की कई कृतियाँ लिखीं, जिनमें उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं:
  • उपन्यास:
    • मधुरी (1952): यह उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसमें उन्होंने एक युवा लड़की की कठिनाइयों और संघर्षों का चित्रण किया है। इस उपन्यास ने सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों में काफी चर्चा बटोरी और उन्हें व्यापक पहचान दिलाई।
    • लक्ष्मी (1960): इस उपन्यास में उन्होंने भारतीय समाज के नैतिक और सामाजिक मूल्यों को चित्रित किया है, जिसमें एक महिला की सामाजिक स्थिति और उसकी व्यक्तिगत चुनौतियाँ प्रमुख रूप से उभरती हैं।
    • चित्रलेखा (1934): इस उपन्यास में उन्होंने भारतीय समाज की जटिलताओं, मानवीय भावनाओं, और सामाजिक रूढ़ियों को अत्यंत संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है।
  • कहानी संग्रह:
    • नीलकमल: इसमें उनके द्वारा लिखी गई कहानियों का संग्रह है, जो विभिन्न सामाजिक और मानवीय विषयों को छूती हैं।
  • कविता और निबंध:
    • कविताओं और निबंधों की संग्रहणीय कृतियाँ: : भगवती चरण वर्मा जी ने कई कविता संग्रह और निबंध भी लिखे, जिनमें सामाजिक, सांस्कृतिक, और व्यक्तिगत विषयों पर विचार किया गया है।
पुरस्कार और सम्मान:भगवती चरण वर्मा जी को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। इनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं::
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (1957): यह पुरस्कार उन्हें उनके उपन्यास "चित्रलेखा" के लिए प्रदान किया गया।
  • पद्म श्री (1960): भारत सरकार ने साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें इस सम्मान से नवाजा।
  • यशपाल पुरस्कार: उनके उपन्यास "मधुरी" के लिए भी उन्हें यह पुरस्कार मिला।
भगवती चरण वर्मा जी का निधन 11 फरवरी 1986 को हुआ, लेकिन उनके साहित्यिक योगदान और रचनाएँ आज भी हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी कृतियाँ न केवल हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं, बल्कि वे समाज और मानवीय संवेदनाओं की गहरी समझ प्रदान करती हैं।