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Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10th हिन्दी कृतिका भाग -2


जॉर्ज पंचम की नाक (कृतिका भाग 2, कक्षा 10))

"जॉर्ज पंचम की नाक" कृतिका भाग 2 का एक हास्य और व्यंग्य से भरा अध्याय है, जिसे प्रसिद्ध लेखक कमलेश्वर ने लिखा है। इस कहानी में लेखक ने ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में व्याप्त सामाजिक और राजनीतिक स्थितियों पर व्यंग्य करते हुए एक रोचक कथा प्रस्तुत की है। कहानी में एक अफवाह के आधार पर यह चर्चा होती है कि जॉर्ज पंचम की नाक गायब हो गई है, और इसे वापस लाने के लिए अलग-अलग प्रयास किए जाते हैं। इस पूरी घटना को लेखक ने अत्यंत मनोरंजक और व्यंग्यात्मक तरीके से प्रस्तुत किया है। "जॉर्ज पंचम की नाक" एक ऐसी कहानी है जो पाठकों को हँसी के साथ-साथ गहरी सामाजिक और राजनीतिक समझ भी प्रदान करती है।

कमलेश्वर जी

जीवन परिचय:कमलेश्वर जी का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था। उनका पूरा नाम कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना था। वे हिंदी साहित्य के एक प्रमुख साहित्यकार, उपन्यासकार, और पटकथा लेखक थे। कमलेश्वर जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी और इलाहाबाद से प्राप्त की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक की डिग्री हासिल की और यहीं से उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत हुई।
कमलेश्वर जी का लेखन सामाजिक यथार्थ और मानव जीवन के गहन पहलुओं को उकेरने के लिए जाना जाता है। वे नई कहानी आंदोलन के प्रमुख स्तंभों में से एक थे और हिंदी साहित्य को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदी साहित्य के साथ-साथ फिल्म और टेलीविजन के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान बनाई।
मुख्य कृतियाँ: कमलेश्वर जी ने कई विधाओं में लेखन किया, जिसमें उपन्यास, कहानियाँ, निबंध, और पटकथाएँ शामिल हैं। उनकी कुछ प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं:
  • 1. उपन्यास:
    • कितने पाकिस्तान: यह उनका सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण उपन्यास है, जिसमें उन्होंने विभाजन और सांप्रदायिकता के मुद्दों को बड़े ही संवेदनशील और सजीव तरीके से प्रस्तुत किया है।
    • आगामी अतीत:इस उपन्यास में कमलेश्वर ने समाज के बदलते हुए मूल्यों और उन पर पड़ने वाले प्रभावों का चित्रण किया है।
    • डाक बंगला: इस उपन्यास में उन्होंने एक विशेष समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से समाज की समस्याओं का विश्लेषण किया है।
  • 2. कहानी संग्रह:
    • राजा निरबंसिया: यह उनकी एक प्रमुख कहानी है, जो समाज के वंचित और शोषित वर्ग के जीवन पर आधारित है।
    • तलाश: इस कहानी संग्रह में सामाजिक जीवन की जटिलताओं और मानवीय संवेदनाओं का अद्भुत चित्रण किया गया है।
  • 3. पटकथा लेखन:
    • कमलेश्वर जी ने कई सफल हिंदी फिल्मों की पटकथाएँ लिखीं, जिनमें आंधी, मौसम, सारा आकाश, और रजनीगंधा जैसी फिल्में शामिल हैं।
    • उन्होंने "चंद्रकांता" जैसे प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक की पटकथा भी लिखी।
पुरस्कार और सम्मान: कमलेश्वर जी को उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। कुछ प्रमुख पुरस्कार इस प्रकार हैं:
  • साहित्य अकादमी पुरस्कार (2003): उन्हें उनके उपन्यास "कितने पाकिस्तान" के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया गया।
  • पद्म भूषण (2005): साहित्य और कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें इस उच्च नागरिक सम्मान से नवाजा।
  • फिल्मफेयर पुरस्कार: पटकथा लेखन में उत्कृष्टता के लिए उन्हें कई बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
कमलेश्वर जी का निधन 27 जनवरी 2007 को हुआ, लेकिन उनके साहित्य और कला क्षेत्र में किए गए योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। उनका लेखन आज भी पाठकों के बीच उतना ही प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।